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Frestival of holi

नमस्ते,

रंगोत्सव,

आइए रंगों के पवित्र उत्सव रंगोत्सव पर बात करते हैं





प्रेम और भाईचारे का प्रतीक यह पवित्र महोत्सव होली जिसके प्रारम्भ का इतिहास के आध्यात्मिक ग्रंथों में हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद की बुआ होलीका के अग्नि में जलने के पश्चात इस उत्सव के प्रारम्भ की बात कही गई है इतिहास चाहे जो भी हो होली का यह उत्सव बुराई पर अच्छाई, अहिंसा पर हिंसा, अहंकार पर इश्वर भक्ति, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।

ये तो हुई आध्यात्मिक इतिहास की बात पर आधुनिक समय में यह उत्सव एक अलग ही स्वरूप प्रस्तुत कर रहा है भगवान श्री कृष्ण की लिलाओं में से एक लीला होली में बरसाने में राधा के साथ होली का यह उत्सव भक्ति और प्रेम का अद्भुत रूप प्रस्तुत करता है।



यह सिर्फ होली या रंगोत्सव ही नहीं प्रेमोत्सव भी क्योंकि यह जीवन में प्रेम लेकर आता है यह भाईचारे का महोत्सव है क्योंकि हर कोई आनन्द में रहता है जो जैसा भी हो सुख का अनुभव करता है।

हर चेहरा कयी रंगों में मिलकर एक रंग हो जाता है।जाति का कोई भेद नहीं रह जाता आइए हम मिल कर इस महोत्सव के आदर्शों का प्रचार करते हैं रंगों के इस महोत्सव रंगोत्सव की हार्दिक बधाई परिवार, समाज और देश में प्रेम और भाईचारे का प्रसार कीजिए।
शुभ होली, मंगलमय होली, होली की हार्दिक मंगलमय बधाई

जय हिन्द, जय भारत।।

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