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बिमारी! क्या है ये बिमारी? क्यों होती हैं ये बिमारियां?..।
जब हम बिमारी की बात करते हैं तो हम पाते हैं कि बिमारीयों का संबंध मानव शरीर से अनादि काल से रहा बिमारी का सीधा सा अर्थ है शारीरिक असंतुलन। जब हमारे शरीर की नियमित क्रिया मे ब्यवधान/बाधा उत्पन्न हो जाती हैं तो यही ंं बिमारी कहलाती है।
शरीर वात, पित्त और कफ नामक तीन दोषों से युक्त है इसे ही त्रिदोष की संज्ञा दी जाती है। हमारे शरीर की समस्त बिमारियां त्रिदोषों के असंतुलन का कारण हैं। जब ये त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) सम मात्रा में होता है हम सदैव स्वस्थ रहते हैं और इन त्रिदोषों मेंं असंतुलन उत्पन्न होने पर बिमार।
प्रश्न उठता है कि आखिर त्रि दोष में असंतुलन उत्पन्न क्यों होता है?
उत्तर है हमारी अनियमित दिनचर्या और अनियमित खान-पान दोनों ही प्रबल रूप से इस असंतुलन के लिये जिम्मेदार हैं।
बात करते हैं अनियमित दिनचर्या की-
क्या है अनियमित दिनचर्या और क्यों ये अनियमित है?
अनियमित का सीधा सा अर्थ है जो नियमित नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आलस्य से बचना है तो
सूर्योदय से पूर्व विस्तर उठ जाना चाहिए क्योंकि यदि सोते समय सूर्य किरण का शरीर में स्पर्श हो जाय तो शरीर में आलस्य का जन्म हो जाता है।
रात्रि 10 बजे तक सो जाने से सुबह एलार्म की आवश्यकता नहीं होती। हमारे शरीर प्रकृति के साथ समंजस्य स्थापित कर लेता है।
हमारा शरीर सूर्योदय होने से क्रियशील होता है और सूर्यास्त होने पर शान्त होने लगता है ।
इसलिए यह परमावश्यक है कि हम अपनी दिनचर्या को सही करें
आज तकनीकी का युग है तकनीकी ने हमारे जीवन को जितना आसान बनाया है उतना ही कठिन भी बना दिया है हमारी अनियमित दिनचर्या का प्रमुख कारण तकनीकी ही है
जीवन की अनियमितता के ऐसे बहुत से कारण हैं जिसमें सुधार करने की बहुत आवश्यकता है...
अपने अगले ब्लॉग में हमारी बात जारी रहेगी आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इन्तजार रहेगा।
धन्यवाद
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बिमारी! क्या है ये बिमारी? क्यों होती हैं ये बिमारियां?..।
जब हम बिमारी की बात करते हैं तो हम पाते हैं कि बिमारीयों का संबंध मानव शरीर से अनादि काल से रहा बिमारी का सीधा सा अर्थ है शारीरिक असंतुलन। जब हमारे शरीर की नियमित क्रिया मे ब्यवधान/बाधा उत्पन्न हो जाती हैं तो यही ंं बिमारी कहलाती है।
शरीर वात, पित्त और कफ नामक तीन दोषों से युक्त है इसे ही त्रिदोष की संज्ञा दी जाती है। हमारे शरीर की समस्त बिमारियां त्रिदोषों के असंतुलन का कारण हैं। जब ये त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) सम मात्रा में होता है हम सदैव स्वस्थ रहते हैं और इन त्रिदोषों मेंं असंतुलन उत्पन्न होने पर बिमार।
प्रश्न उठता है कि आखिर त्रि दोष में असंतुलन उत्पन्न क्यों होता है?
उत्तर है हमारी अनियमित दिनचर्या और अनियमित खान-पान दोनों ही प्रबल रूप से इस असंतुलन के लिये जिम्मेदार हैं।
बात करते हैं अनियमित दिनचर्या की-
क्या है अनियमित दिनचर्या और क्यों ये अनियमित है?
अनियमित का सीधा सा अर्थ है जो नियमित नहीं है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर आलस्य से बचना है तो
सूर्योदय से पूर्व विस्तर उठ जाना चाहिए क्योंकि यदि सोते समय सूर्य किरण का शरीर में स्पर्श हो जाय तो शरीर में आलस्य का जन्म हो जाता है।
रात्रि 10 बजे तक सो जाने से सुबह एलार्म की आवश्यकता नहीं होती। हमारे शरीर प्रकृति के साथ समंजस्य स्थापित कर लेता है।
हमारा शरीर सूर्योदय होने से क्रियशील होता है और सूर्यास्त होने पर शान्त होने लगता है ।
इसलिए यह परमावश्यक है कि हम अपनी दिनचर्या को सही करें
आज तकनीकी का युग है तकनीकी ने हमारे जीवन को जितना आसान बनाया है उतना ही कठिन भी बना दिया है हमारी अनियमित दिनचर्या का प्रमुख कारण तकनीकी ही है
जीवन की अनियमितता के ऐसे बहुत से कारण हैं जिसमें सुधार करने की बहुत आवश्यकता है...
अपने अगले ब्लॉग में हमारी बात जारी रहेगी आपकी प्रतिक्रिया का मुझे इन्तजार रहेगा।
धन्यवाद
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