विद्यार्थी के लिए किस तरह का भोजन होना चाहिए
नमस्ते,
मित्रों मैं सुमित सिंह आपके लिए अपनी ब्लॉग से हाजिर हूँ एक नई जानकारी के साथ आइए बात करते हैं
हर उम्र हर अवस्था में भोजन का स्वरूप बदलता रहता है क्योंकि भोजन हमारे शरीर की पोषण जरूरतों को पूर्ण करने का माध्यम है। और हमारे शरीर मेें भोजन की आवश्यकता उम्र के हर भाग मेें अलग अलग होती है।
आज हम बात करेंगे एक विद्यार्थी का भोजन कैसा हो और क्यों? आइए बात करें -
विद्यार्थी अर्थात विद्या अध्ययन करने वाला अर्थात, कुछ नया सीखने वाला...। एक विद्यार्थी सदैव कुछ नया सीखने ओर अग्रसर रहता ऐसी अवस्था में हमारे ऐसे भोजन की जरूरत होती है जो पचने आसान तथा ज्यादा उर्जा प्रदान करने वाला हो...। अगर विद्यार्थी भारी या गरीष्ठ भोजन का सेवन करेगा तो उसे पचाने में शरीर की अनावश्क उर्जा व्यय होगी और शरीर में आलस्य बढ़ेगा, आलस्य से तन्द्रा का जन्म होता है और ऐसी स्थिति में मस्तिष्क की एकाग्रता नष्ट हो जाएगी।
कुछ नया सीखने के लिए मन मस्तिष्क का एकाग्र होना बहुत ही आवश्यक है।
अब प्रश्न उठता है कि किस तरह का भोजन सुपाच्य और उर्जवान होता है?
विद्यार्थी के भोजन का स्वरूप
विद्यार्थी के भोजन में 40% जीवित अनाज होना चाहिए जिसमें अंकुरित अनाज जैसे चना, गेहूं, मूंग,
फाइबर युक्त तथा मोटे अनाज जिसमें जौ की दलिया, चने और गेहूँ का मिक्स आंटा, बाजरा, मक्का, ब्राउन राइस,
प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ, बादाम, मुनक्का, मूँगफली, दूध तथा दूध से बने उत्पाद, सभी मौसमी फल दलों का सेवन करना सबसे उपयुक्त है साथ ही
हल्के व्यायाम, योग, कुछ महत्वपूर्ण प्राणायाम जैसे- अनुलोम विलोम,कपाल भाति,भ्रामरी, ओम का जाप और ध्यान सबसे उत्तम हैं।
क्या न खांए
मांस, मादक द्रव्य, फास्ट फूड, चीनी तथा चीनी से बने सभी मिष्ठान, सफेद नमक, मैदा तथा मैदे से बने सभी पदार्थ ब्रैड, मक्खन, तली -भूनी चीजें, मिर्च मसाले आदि का सेवन कभी भी ना करें।
धन्यवाद आपका स्वास्थ्य हमारा प्रथम लक्ष्य।
।।जय हिन्द जय भारत स्वस्थ भारत।।
नमस्ते,
मित्रों मैं सुमित सिंह आपके लिए अपनी ब्लॉग से हाजिर हूँ एक नई जानकारी के साथ आइए बात करते हैं
हर उम्र हर अवस्था में भोजन का स्वरूप बदलता रहता है क्योंकि भोजन हमारे शरीर की पोषण जरूरतों को पूर्ण करने का माध्यम है। और हमारे शरीर मेें भोजन की आवश्यकता उम्र के हर भाग मेें अलग अलग होती है।
आज हम बात करेंगे एक विद्यार्थी का भोजन कैसा हो और क्यों? आइए बात करें -
विद्यार्थी अर्थात विद्या अध्ययन करने वाला अर्थात, कुछ नया सीखने वाला...। एक विद्यार्थी सदैव कुछ नया सीखने ओर अग्रसर रहता ऐसी अवस्था में हमारे ऐसे भोजन की जरूरत होती है जो पचने आसान तथा ज्यादा उर्जा प्रदान करने वाला हो...। अगर विद्यार्थी भारी या गरीष्ठ भोजन का सेवन करेगा तो उसे पचाने में शरीर की अनावश्क उर्जा व्यय होगी और शरीर में आलस्य बढ़ेगा, आलस्य से तन्द्रा का जन्म होता है और ऐसी स्थिति में मस्तिष्क की एकाग्रता नष्ट हो जाएगी।
कुछ नया सीखने के लिए मन मस्तिष्क का एकाग्र होना बहुत ही आवश्यक है।
अब प्रश्न उठता है कि किस तरह का भोजन सुपाच्य और उर्जवान होता है?
विद्यार्थी के भोजन का स्वरूप
विद्यार्थी के भोजन में 40% जीवित अनाज होना चाहिए जिसमें अंकुरित अनाज जैसे चना, गेहूं, मूंग,
फाइबर युक्त तथा मोटे अनाज जिसमें जौ की दलिया, चने और गेहूँ का मिक्स आंटा, बाजरा, मक्का, ब्राउन राइस,
प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ, बादाम, मुनक्का, मूँगफली, दूध तथा दूध से बने उत्पाद, सभी मौसमी फल दलों का सेवन करना सबसे उपयुक्त है साथ ही
हल्के व्यायाम, योग, कुछ महत्वपूर्ण प्राणायाम जैसे- अनुलोम विलोम,कपाल भाति,भ्रामरी, ओम का जाप और ध्यान सबसे उत्तम हैं।
क्या न खांए
मांस, मादक द्रव्य, फास्ट फूड, चीनी तथा चीनी से बने सभी मिष्ठान, सफेद नमक, मैदा तथा मैदे से बने सभी पदार्थ ब्रैड, मक्खन, तली -भूनी चीजें, मिर्च मसाले आदि का सेवन कभी भी ना करें।
धन्यवाद आपका स्वास्थ्य हमारा प्रथम लक्ष्य।
।।जय हिन्द जय भारत स्वस्थ भारत।।
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