Skip to main content

Routine for food(भोजन के लिए दिनचर्या)

नमस्ते,
खाने के लिए सही दिनचर्या कब क्या खाए...।

आइए आज हम बात करते है हमारे खाने के सही दिनचर्या की हमें क्या खाना है कब खाना ? और क्या नहीं खाना है और क्यों नहीं खाना।


कहा जाता है कि हम जैसा खान पान करते है उसी पर हमारा स्वास्थ्य और हमारे विचार भी निर्भर करते हैं। आज के हमारे ने मोटापा कोलेस्ट्राल, ब्लड सूगर से लेकर कैंसर जैसी घातक बिमारीया भी हमारे अव्यवस्थित और असंतुलित खान पान का ही परिणाम हैं।

अगर इन प्राण घातक बिमारीयों के प्रकोप से बचना है तो सही खान पान की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है।महर्षि वाग्भट्ट जी ने खाने के सही नियम की विस्तृत व्याख्या सूत्र रूप मे की है। उन्हीं के व्याख्यान की हम यहाँ चर्चा करेंगे।


महर्षि वाग्भट्ट जी ने जो नियम बताए हैं उसके अनुसार सुबह शौच, व्यायाम, स्नान आदि दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के पश्चात पूर्ण आहार लेंं सुबह हल्के नास्ते से बचेंं।

सुबह का भोजन सम्पूर्ण दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के पश्चात 48 मिनट के तक भोजन कर लेना चाहिए। इसका कारण बताते हुए वाग्भट्ट जी लिखते हैं कि सुबह के समय सबसे ज्यादा समय तक आपका पेट खाली रहता है जिससे पेट में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है जिससे अल्सर,गैस, एसीडिटी... आदि बिमारीयों का खतरा बढ़ जाता है।

दुसरा महत्वपूर्ण कारण बताते हुए वाग्भट्ट जी लिखते हैं कि सुबह के समय हमारी जठराग्नी सबसे ज्यादा तेज होती इस समय हम जो भी खाते हैं वह आसानी से पच जाता है और शरीर में रक्त, मास, मज्जा, वीर्य... आदि का निर्माण होता है।
सुबह के भोजन सही समय अधिकतम 11बजे से पूर्व सर्वोत्तम होता है। जैसे- जैसे सूर्य ढलता जाता हमारी जठराग्नी मन्द होती जाती है जिससे भोजन के पचने की क्रिया भी मन्द होने लगती है।

आगे वे लिखते हैं कि एक बार खाने के पश्चात दुबारा खाने के मध्य आठ घण्टे का अन्तर होना चाहिए।

दोपहर में इच्छा होने पर ही भोजन करें। शाम का भोजने सूर्यास्त से पूर्व ही कर लेवे रात्रि में दूध जैसे तरल द्रव्योंं का सेवन करें जिनका सेवन रात्रि में किया जा सके।

खाना बनने के 48 मिनट के अन्दर कर लेना चाहिए। बासी खाने का सेवन न करें।



क्या खाएं-

सुपाच्य हल्के भोजन का सेवन करें दाले, अंकुरित अनाज, मोटे अनाज, मौसमी फल, सभी प्रकार की हरी सब्जियों, भारती नस्ल की गाय का दूध तथा दूध से बने सभी घरेलू उत्पाद का सेवन स्वास्थप्रद होता हैं...।

क्या न खाए-


मैदा, सफेद नमक, सफेद चीनी तथा इनसे बने किसी भी उत्पाद का कभी भी सेवन न करे, आइस्क्रीम, फ्रिज में रखा कोई भी भोज्य पदार्थ, रिफाइंड तेल बाजार के तले भुनेे खाद्य पदाार्थों जंक फूूूड्स, डिब्ब्बा बन्द फूूूड््स का सेेेवन कभी भी ना करें


इस नियम का पालन करके आप सदैव स्वस्थ जीवन ब्यतीत करेंगे।

आपका स्वास्थ्य हमारा प्रथम लक्ष
धन्यवाद
।।जय हिन्द, जय भारत, स्वस्थ भारत।।

Comments

Popular posts from this blog

Hand sanitizer &COVID19

COVID19 से सबसे ज्यादा जिसकी मार्केटिंग हो रही है वो है Hand Sanitizer और  face mask... भारत नमस्ते, विश्व में महामारी का रूप ले चुकी इस संक्रामक बिमारी ने आज विश्व में दो चीजों को महत्वपूर्ण स्थान पर ला दिया है जिसमें से एक  hand sanitizer और दूसरा है फेसमास्क। ऐसा बताया जा रहा है कि हाथों को hand sanitizer से धूलते रहना है और मास्क पहन कर ही रखना है किन्तु बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियों पर प्रकाश डालने की आवश्यकता है...। आइए जानते हैं- Hand Sanitizer:- अनेकों कम्पनियों ने अलग अलग नामों से बाजार hand sanitizer launch किया हुआ आइए जानते है क्या है ये सैनिटाइजर और क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण...। ऐ Hand sanitizer हाँथो को पानी की उपलब्धता न होने पर भी हाथों को साफ रखने के काम में लाया जाता है। यह एक प्रकार का तरल ऐल्कोहलिक द्रव्य है जिसमें 60-70 % एल्कोहल की मात्रा पायी जाती है। आइए जानते हैं इसके उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्या के बारे में- जब हम सैनिटाइजर को हाथों पर लगाते हैं तो हमारे हाँथों पर रहने वाले लाभदायक जीवाणू भी मर जाते हैं जो हमारे शरीर को ...

FOOD (भोजन) OF DAY TODAY LIFE

नमस्ते,        अभी तक हमने बात की कि हमारी दिनचर्या कैसी है और हमारी दिनचर्या ही हमारी बिमारीयों का एक प्रमुख कारक हैंं...।       किन्तु क्या दिनचर्या ही प्रमुख कारण है इसका उत्तर नहीं मे दिया जा सकता है। दिनचर्या एक प्रमुख कारण अवश्य ही है किन्तु इससे भी प्रमुख कारण जो है वो है हमारा भोजन (FOOD)...         भोजन, हम सभी को पता है हमारे शरीर को कार्य करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है और ये उर्जा हमें भोजन (Food) से ही प्राप्त होती है। अतः हमारा भोजन कैसा हो यह जानना हमारे लिए नितान्त आवश्यक है।          अब आज हम बात करेंगे अनियमित भोजन क्या है और हमें किस तरह के भोजन की कब और कितनी आवश्यकता है, क्या खाना है और क्या नहीं खाना है, कब क्या खाना है?,... अज हम इसी विषय पर बात करने चल रहे हैं-           आइए बात करते हैं भोजन के अनियमितता की हम कुछ भी कभी भी कैसे भी नहीं खा सकते। यदि हम ऐसा कर रहे हैं तो हम अवश्य ही बिमारी की तरफ तेजी से अग्रसर हो रहें हैं   ...

Water

पानी कब कितना और कैसे पिए?... जब हम अपने शरीर का वर्ग करते है तो हम पाते हैं कि पानी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि ये 72% हैं। हमारे शरीर में 72% पानी, 12% पृथ्वी, 6%हवा, 4% अग्नि तथा बाकी सब आकाश है। हमें पानी का जबरदस्त ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि ये 72% है। अतः आइए आज हम बात करते हैं कि हमें कब कितना पानी पीना चाहिए, पानी को कैसे पीना चाहिए, किस तरह का पानी पीना चाहिए?.. पानी पीने का सही तरीका- पानी सदैव बैठकर पीना चाहिए, पानी को सिप- सिप करके पीए(घूँट- धूँट ) करके पीना चाहिए। ऐसा क्यों? इसके जवाब में महर्षि वाग्भट्ट लिखते हैं कि हमारे मुख मे लार बनता है जिसकी प्रकृति क्षारीय है। जब हम पानी को सिप या घूँट करके पीते हैं तो लार पानी मे मिल कर उसे क्षारीय बना देता है।वही दूसरी तरफ हमारे पेट की प्रकृति अम्लीय है ऐसी स्थिति में जब अम्ल और क्षार आपस मेंं मिलकर उदासीन हो जाते हैं जिससे हमारा भोजन बिसाक्त होने से बच जाता है और हम सदा स्वस्थ जवान और ऊर्जावान रहते हैं। कब कितना पानी पीना चाहिए और कब पानी नहीं पीना चाहिए। महर्षि वाग्भट्ट आगे लिखते हैं हमा...