आज हम बात करने जा रहे हैं दिव्य औषधि तुलसी की
नमस्ते,
मित्रों तुलसी एक प्राकृतिक एवं पूज्य वनस्पति है। यह हमारे घरों आसनी से मिल जाती है। सदियों से तुलसी की पूजा की जाती रही है इतना ही नहीं यह तुलसी केवल भारत भूमि पर ही पायी जाती है विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं। भारत भूमि को देव भूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर पेड़ - पौधों, जीव-जन्तुओं को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती रही है अनेकों ऋषियों ने समय समय पर अपने लेखों के माध्यम से इस वसुंधरा की महिमा का गौरव गान किया तथा इसकी महिमा के बारे में बताया है।
अनादि काल से भारत भूमि पर औषधियों के माध्यम से चिकित्सा की जाती रही है इतना ही नहीं हमारी भारती आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ऐसे रोगों का उपचार किया है जिसका विश्व कि किसी चिकित्सा पद्धति में आज तक कोई उपचार नहीं मिल पाया है।
आज हम जिस आयुर्वेदिक औषधिकी बात करने जा रहें हैं उसका नाम है "श्याम तुलसी"। तुलसी की कयी प्रजातीयां हैं किन्तु हमारे घरों में जो तुलसी बहुतायत में पायी जाती है वो है राम तुलसी और श्याम तुलसी।
राम तुलसी हल्के हरे रंग के पत्तों वाली होती है इस तुलसी में औषधि गुणों का अभाव है बहुत कम औषधि गुण युक्त है ये हमारे लिये ज्यादा उपयोगी नहीं है।
श्याम तुलसी गहरे हरे रंग की होती है इस कारण शावली दिखाई पड़ती हैं। सर्वोत्तम औषधि गुण इसी तुलसी में पायी जाती है। इसका उपयोग 20-30 बिमारीयों का उपचार किया जा सकता है।
आयुर्वेद दुनिया की सर्वोत्तम चिकित्सा पद्धति है क्योंकि यहाँ रोग का नहीं वरन रोग के कारण का निदान किया जाता है।
बिमारीयां जिनके उपचार में लाभदायक है श्याम तुलसी
किसी भी तरह के बुखार को तोड़ने में मात्र तीन से चार खुराक की आवश्यकता।
माताओं में मासिक पाड़ि के समय सफेद पानी (सफेद पानी) जिसे लुकोरिया कहा जाता है इसी तरह।
बृद्धावस्था में होने वाली एक समस्या पेशाब का रुक- रुक कर आना
कभी कभी कुछ ऐसे घाव बन जाते हैं जिसमें रक्त आता है, मवाद बनता है लसी बहती रहती है- वहाँ तुलसी के पत्तों की चटनी बनाकर लगाने से घाव पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
रूसी, खुस्की, सिर में खोड़ा बनना
बच्चों में पेट में कीड़ी की समस्या आदि में यह श्याम तुलसी सर्वोत्तम औषधि है।
इसी तरह पीलीया के रोग में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आदि 20 - 30 प्रकार की बिमारीयों में श्याम तुलसी का उपयोग करके बिमारी का पूर्ण उपचार कर सकते हैं।
उयोग विधि
17-18 तुलसी के पत्ते लीजिये उसे आधे गिलास पानी में हल्की आँँच पर पकाए जब पानी आधा रह जाय तो उसे ठण्डा करके उसमें गुण या शहद मिला कर पीने से या तुलसी के पत्तों को कूट पीसकर उसका एक चम्मच रस हल्का गर्म करके दिन में 2-3 बार पीने से सभी प्रकार के ज्वर, पाण्ड्रे पानी की समस्या, बच्चों के पेट के कीड़ों की समस्या पूर्णतः ठीक हो जाती है।
सिर की रूसी के लिए तुलसी के पत्तों की चटनी बनाकर सिर में लगाए और १घण्टे के बाद धुल ले रुसी खोड़ा सब ठीक हो जाएगा।
https://youtu.be/-z38eKg619E
नमस्ते,
मित्रों तुलसी एक प्राकृतिक एवं पूज्य वनस्पति है। यह हमारे घरों आसनी से मिल जाती है। सदियों से तुलसी की पूजा की जाती रही है इतना ही नहीं यह तुलसी केवल भारत भूमि पर ही पायी जाती है विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं। भारत भूमि को देव भूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर पेड़ - पौधों, जीव-जन्तुओं को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती रही है अनेकों ऋषियों ने समय समय पर अपने लेखों के माध्यम से इस वसुंधरा की महिमा का गौरव गान किया तथा इसकी महिमा के बारे में बताया है।
अनादि काल से भारत भूमि पर औषधियों के माध्यम से चिकित्सा की जाती रही है इतना ही नहीं हमारी भारती आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ऐसे रोगों का उपचार किया है जिसका विश्व कि किसी चिकित्सा पद्धति में आज तक कोई उपचार नहीं मिल पाया है।
आज हम जिस आयुर्वेदिक औषधिकी बात करने जा रहें हैं उसका नाम है "श्याम तुलसी"। तुलसी की कयी प्रजातीयां हैं किन्तु हमारे घरों में जो तुलसी बहुतायत में पायी जाती है वो है राम तुलसी और श्याम तुलसी।
राम तुलसी हल्के हरे रंग के पत्तों वाली होती है इस तुलसी में औषधि गुणों का अभाव है बहुत कम औषधि गुण युक्त है ये हमारे लिये ज्यादा उपयोगी नहीं है।
श्याम तुलसी गहरे हरे रंग की होती है इस कारण शावली दिखाई पड़ती हैं। सर्वोत्तम औषधि गुण इसी तुलसी में पायी जाती है। इसका उपयोग 20-30 बिमारीयों का उपचार किया जा सकता है।
आयुर्वेद दुनिया की सर्वोत्तम चिकित्सा पद्धति है क्योंकि यहाँ रोग का नहीं वरन रोग के कारण का निदान किया जाता है।
बिमारीयां जिनके उपचार में लाभदायक है श्याम तुलसी
किसी भी तरह के बुखार को तोड़ने में मात्र तीन से चार खुराक की आवश्यकता।
माताओं में मासिक पाड़ि के समय सफेद पानी (सफेद पानी) जिसे लुकोरिया कहा जाता है इसी तरह।
बृद्धावस्था में होने वाली एक समस्या पेशाब का रुक- रुक कर आना
कभी कभी कुछ ऐसे घाव बन जाते हैं जिसमें रक्त आता है, मवाद बनता है लसी बहती रहती है- वहाँ तुलसी के पत्तों की चटनी बनाकर लगाने से घाव पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
रूसी, खुस्की, सिर में खोड़ा बनना
बच्चों में पेट में कीड़ी की समस्या आदि में यह श्याम तुलसी सर्वोत्तम औषधि है।
इसी तरह पीलीया के रोग में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आदि 20 - 30 प्रकार की बिमारीयों में श्याम तुलसी का उपयोग करके बिमारी का पूर्ण उपचार कर सकते हैं।
उयोग विधि
17-18 तुलसी के पत्ते लीजिये उसे आधे गिलास पानी में हल्की आँँच पर पकाए जब पानी आधा रह जाय तो उसे ठण्डा करके उसमें गुण या शहद मिला कर पीने से या तुलसी के पत्तों को कूट पीसकर उसका एक चम्मच रस हल्का गर्म करके दिन में 2-3 बार पीने से सभी प्रकार के ज्वर, पाण्ड्रे पानी की समस्या, बच्चों के पेट के कीड़ों की समस्या पूर्णतः ठीक हो जाती है।
सिर की रूसी के लिए तुलसी के पत्तों की चटनी बनाकर सिर में लगाए और १घण्टे के बाद धुल ले रुसी खोड़ा सब ठीक हो जाएगा।
https://youtu.be/-z38eKg619E
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