कैंसर क्या है, क्यों होता है,इसका उपचार क्या है इससे कैसे बचा जाय
नमस्ते,
आज हम बात करने जा रहें हैं कैंसर के बारे में
कैंसर हमारे शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियन्त्रित वृद्धि का रुप है। कोशिका शरीर की सबसे छोटे इन्हीं कोशिकाओं के समूह से शरीर का निर्माण होता होता ये कोशिकाए एक नियंत्रित श्रृंखला में बनती तथा नष्ट होती रहती है। किन्तु कभी कभी किसी गड़बड़ी के कारण शरीर के किसी भाग में अनियंत्रित कोशिकाओं का निर्माण होने लग जाता है और ट्यूमर का रूप ले लेता है। हर ट्यूमर कैंसर नहीं है किन्तु कोशिकाओं का विस्तार अनवरत जारी रहना ही कैंसर है।
कैंसर का कारण
कैंसर होने के कयी कारण है, जिसके प्रमुख कारणों में सर्वप्रमुख स्थान तंबाकू, पान मसाला, बीडी, सिगरेट, मद्यपान आदि प्रमुख है, किन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे खान पान, रहन सहन एवं भोजन मेंं प्रयुक्त पदार्थ भी इसका कारण हो सकते हैं। जी हाँ ऐसा है बाजार की तली-भूनी चीजें, अत्यधिक मिर्च मसालों का सेवन, सभी प्रकार के रिफाइण्ड तेल, वनस्पति तेल, वनस्पति घी, मांस, डिब्बा बन्द भोज्यपदार्थों आदि तथा भारतीय नश्ल की गायों को के अलावा अन्य किसी नश्ल के गायों के किसी भी उत्पाद का सेवन कैंसर के प्रमुख घातक कारण हैं।
इतना ही नहीं हम किस तरह के बर्तन में भोजन पका रहे हैं इसका ध्यान अवश्य ही रखना चाहिए
कैंसर कोई त्वरित प्रक्रिया नहीं है यह लगातार लम्बे समय से चली आ रही अनियमितता के फलस्वरूप उत्पन्न होता है।
लक्षण -
अभी तक कैैंसर लक्ष्मण तुरंत जान पाना संभव नहीं हुआ है
हाँ कुछ शारीरीक क्रियाओं में या शरीर में हो रहे बदलाव से इसके बारे में पता लगाया जा सकता है जैसे- शरीर में किसी तरह के गांठ, मुह में छालों का बना रहना, मल के साथ लगातार खून का श्राव आदि परिस्थितियों में कैंसर की जांच करवा लेना चाहिए अन्यथा लापरवाही का बड़ा मूल्य चुकाना पड़ सकता है।
बचाव
सबसे पहले हम कैंसर से कैसे बचे इहके बारे में जानना बहुत आवश्कक है। सबसे पहला दिनचर्या को सही करके, खानपान
नशे के किसी भी रुप का पूर्ण परित्याग,
किसी भी तरह के रिफाइण्ड तेल का कभी भी सेवन न करेंं।
रिफाइण्ड तेल, वनस्पति घी या तेल आदि के उपयोग से बने पदार्थो के सेवन से बचें,
बाजार में बिकने वाले तले भूने पदार्थों एवं डिब्बा बंद वस्तुओं के उपयोग से बचेंं।
बाजार में बिकने वाली वस्तुओं के गुलाम मत कीजिए बल्कि बाजार को ये एहसास होना चाहिए कि यदि बिना स्वास्थ्य मानकों को ध्यान में रखे वस्तुओं का उत्पादन किया तो वे समस्त उत्पाद कूड़े में ही फैकने पड़ेंगे।
उपचार
सबसे पहला बचाव ही उपचार है आपकी दिनचर्या तथा खान पान का तरीका आपको सदैव सुरक्षित रख सकता है और आप कैंसर की इस घातक बिमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
कैंसर के रोगी का उपचार :-
1 गौमूत्र आधा कप और कच्ची हल्दी का रस और नीम की पत्ती का रस नियमित सुबह शाम सेवन करने पर तृतीय स्तर तक कैंसर का उपचार सम्भव है।किन्तु यह उपचार तभी कारगर होगा यदि रोगी का किमो न किया गया हो।
2)गौमूत्र आधा कप में, आधाकप गेहूँके ज्वारे का रस, 20 मिली गिलोय का रस, 6 नीम की पत्ती का रस और 10 श्यामा तुलसी के पत्तों का रस लेकर हल्का गुनगुना करके सुबह शाम सेवन करने से पूर्ण लाभ मिलेगा।
ध्यान रहे गौमूत्र केवल भारतीय नश्ल की गाय की बछड़ी का हो मा बनी गाय का नहीं
कीमो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देती है ऐसी स्थिति में किया गया उपचार निरर्थक ही होता है।
इसके साथ ही नियमित व्यायाम, योग तथा प्राणायाम भी करें त्वरित लाभ मिलेगा
।।धन्यवाद।।
।।जय हिन्द, जय भारत, स्वस्थ भारत।।
नमस्ते,
आज हम बात करने जा रहें हैं कैंसर के बारे में
कैंसर हमारे शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियन्त्रित वृद्धि का रुप है। कोशिका शरीर की सबसे छोटे इन्हीं कोशिकाओं के समूह से शरीर का निर्माण होता होता ये कोशिकाए एक नियंत्रित श्रृंखला में बनती तथा नष्ट होती रहती है। किन्तु कभी कभी किसी गड़बड़ी के कारण शरीर के किसी भाग में अनियंत्रित कोशिकाओं का निर्माण होने लग जाता है और ट्यूमर का रूप ले लेता है। हर ट्यूमर कैंसर नहीं है किन्तु कोशिकाओं का विस्तार अनवरत जारी रहना ही कैंसर है।
कैंसर का कारण
कैंसर होने के कयी कारण है, जिसके प्रमुख कारणों में सर्वप्रमुख स्थान तंबाकू, पान मसाला, बीडी, सिगरेट, मद्यपान आदि प्रमुख है, किन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे खान पान, रहन सहन एवं भोजन मेंं प्रयुक्त पदार्थ भी इसका कारण हो सकते हैं। जी हाँ ऐसा है बाजार की तली-भूनी चीजें, अत्यधिक मिर्च मसालों का सेवन, सभी प्रकार के रिफाइण्ड तेल, वनस्पति तेल, वनस्पति घी, मांस, डिब्बा बन्द भोज्यपदार्थों आदि तथा भारतीय नश्ल की गायों को के अलावा अन्य किसी नश्ल के गायों के किसी भी उत्पाद का सेवन कैंसर के प्रमुख घातक कारण हैं।
इतना ही नहीं हम किस तरह के बर्तन में भोजन पका रहे हैं इसका ध्यान अवश्य ही रखना चाहिए
कैंसर कोई त्वरित प्रक्रिया नहीं है यह लगातार लम्बे समय से चली आ रही अनियमितता के फलस्वरूप उत्पन्न होता है।
लक्षण -
अभी तक कैैंसर लक्ष्मण तुरंत जान पाना संभव नहीं हुआ है
हाँ कुछ शारीरीक क्रियाओं में या शरीर में हो रहे बदलाव से इसके बारे में पता लगाया जा सकता है जैसे- शरीर में किसी तरह के गांठ, मुह में छालों का बना रहना, मल के साथ लगातार खून का श्राव आदि परिस्थितियों में कैंसर की जांच करवा लेना चाहिए अन्यथा लापरवाही का बड़ा मूल्य चुकाना पड़ सकता है।
बचाव
सबसे पहले हम कैंसर से कैसे बचे इहके बारे में जानना बहुत आवश्कक है। सबसे पहला दिनचर्या को सही करके, खानपान
नशे के किसी भी रुप का पूर्ण परित्याग,
किसी भी तरह के रिफाइण्ड तेल का कभी भी सेवन न करेंं।
रिफाइण्ड तेल, वनस्पति घी या तेल आदि के उपयोग से बने पदार्थो के सेवन से बचें,
बाजार में बिकने वाले तले भूने पदार्थों एवं डिब्बा बंद वस्तुओं के उपयोग से बचेंं।
बाजार में बिकने वाली वस्तुओं के गुलाम मत कीजिए बल्कि बाजार को ये एहसास होना चाहिए कि यदि बिना स्वास्थ्य मानकों को ध्यान में रखे वस्तुओं का उत्पादन किया तो वे समस्त उत्पाद कूड़े में ही फैकने पड़ेंगे।
उपचार
सबसे पहला बचाव ही उपचार है आपकी दिनचर्या तथा खान पान का तरीका आपको सदैव सुरक्षित रख सकता है और आप कैंसर की इस घातक बिमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।
कैंसर के रोगी का उपचार :-
1 गौमूत्र आधा कप और कच्ची हल्दी का रस और नीम की पत्ती का रस नियमित सुबह शाम सेवन करने पर तृतीय स्तर तक कैंसर का उपचार सम्भव है।किन्तु यह उपचार तभी कारगर होगा यदि रोगी का किमो न किया गया हो।
2)गौमूत्र आधा कप में, आधाकप गेहूँके ज्वारे का रस, 20 मिली गिलोय का रस, 6 नीम की पत्ती का रस और 10 श्यामा तुलसी के पत्तों का रस लेकर हल्का गुनगुना करके सुबह शाम सेवन करने से पूर्ण लाभ मिलेगा।
ध्यान रहे गौमूत्र केवल भारतीय नश्ल की गाय की बछड़ी का हो मा बनी गाय का नहीं
कीमो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देती है ऐसी स्थिति में किया गया उपचार निरर्थक ही होता है।
इसके साथ ही नियमित व्यायाम, योग तथा प्राणायाम भी करें त्वरित लाभ मिलेगा
।।धन्यवाद।।
।।जय हिन्द, जय भारत, स्वस्थ भारत।।
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