क्या है त्रिफला हमारे जीवन में इसका क्या उपयोग है?...
नमस्ते,
आयुर्वेद की अनमोल औषधि त्रिफला
त्रीदोष (वात, पित्त एवं कफ) नासक प्रकृति की सर्वोत्तम औषधि त्रिफला भारत को प्रकृति की अनुपम भेट है इस त्रिफला के महत्व को बताते हुए महर्षि वाग्बट्ट जी ने त्रिफला पर 120सूत्र लिखा हुआ है।
त्रिफला तीन फलों का मिश्रण है-
1- आँवला
https://youtu.be/BEvdE2Vhra0https://youtu.be/BEvdE2Vhra0
2) हरड़।
3) बहेड़ा
आँवला हरण तथा बहेड़ा के आनुपातिक मिश्रण से त्रिफला का निर्माण होता है। त्रिदोष को एक साथ सम रखने का गुण केवल त्रिफला में विद्यमान है जो हमारी रसोई घर में आसानी से मिल जाती है।
ध्यान देने की बात यह है कि बाजार में मिलने वाली त्रिफला का उपयोग करने के स्थान पर घर पर ही त्रिफला को बनाकर उपयोग करें।
बनाने की विधि:-
एक भाग हरड़ का, दो अनुपात बहेड़ा और तीन अनुपात आँवला लेकर सूखाकर हल्का मोटा चूर्ण बना ले और एयर टाइट जार में बन्द करके रखें और उपयोग करें।
ध्यान रहें मात्रा सही होना बहुत आवश्यक है।
अब मान लीजिए आपने 100 ग्राम हरण लिया तो 200 ग्राम बहेड़ा और 300 ग्राम आँवला तीनों को इसी अनुपात में कूट पिसकर चूर्ण बनाना है।
उपयोग की विधि:-
त्रिफला के सेवन से वात, पित्त तथा कफ से उत्पन्न 148 बिमारीयों के उपचार में लाभ मिलता है।
इसका उपयोग रात तथा सुबह दोनों समय किया जाता है।रात्रि में त्रिफला के सेवन से पेट में जमा मल साफ किया जाता इसके नियमित सेवन से कब्ज तथा पेट की सभी बिमारियों जैसे गैस, अपच , एसीडिटी... आदि में आराम मिलता है।
रात्रि के समय त्रिफला को गुनगुने दूध या गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण 60-90 दिनों तक सेवन करने से कैसी भी कब्ज हो ठीक हो जाती है। इतना ही नहीं यह पेट की सभी बिमारीयों को ठीक करता है।
सुबह के समय सेवन की विधि:-
सुबह के समय एक बड़ा चाय के चम्मच के बराबर त्रिफला शहद के साथ मिलाकर खाने से अनावश्यक वजन कम होता है, पेट की चर्बी, मोटापा ठीक होता है इतना ही नहीं शरीर में आवश्यक सभी सुक्ष्म पोषक तत्वों जैसे केल्शियम, आयरन विटामिनA, विटामिनC...आदि सभी की कमी को पूर्ण करता है। ये त्रिफला इतना लाभकारी है कि जिसके बारे महर्षि वाग्बट्ट जी ने बहुत विस्तार से लिखा हुआ है।
डायबिटीज के रोगी इसका सेवन सुबह में घर पर बने गुण या शहद के साथ करें पूर्ण लाभ मिलेगा, रक्त शर्करा सदैव नियंत्रित रहेगी...।
सावधानी
त्रिफला का सेवन लगातार 90 दिनों से अधिक नहीं करना चाहिए अन्यथा विपरीत परिणाम हो सकता है।90दिनों के पश्चात 1 माह के बाद पुनः उपयोग किया जा सकता है।
दिन में सिर्फ एक बार ही इसका सेवन कर सकते हैं या तो सुबह में या रात में। रात्रि में विशेष परिस्थितियों में ही इसका सेवन ज्यादा दिनों तक करना चाहिए अन्यथा एक माह तक ही लगातार सेवन करना चाहिए।
धन्यवाद
आपका स्वास्थ्य हमारा प्रथम लक्ष्य
।।जय हिन्द, जय भारत, स्वस्थ भारत।।
1- आँवला
2) हरड़।

3) बहेड़ा
ध्यान देने की बात यह है कि बाजार में मिलने वाली त्रिफला का उपयोग करने के स्थान पर घर पर ही त्रिफला को बनाकर उपयोग करें।
बनाने की विधि:-
एक भाग हरड़ का, दो अनुपात बहेड़ा और तीन अनुपात आँवला लेकर सूखाकर हल्का मोटा चूर्ण बना ले और एयर टाइट जार में बन्द करके रखें और उपयोग करें।
ध्यान रहें मात्रा सही होना बहुत आवश्यक है।
अब मान लीजिए आपने 100 ग्राम हरण लिया तो 200 ग्राम बहेड़ा और 300 ग्राम आँवला तीनों को इसी अनुपात में कूट पिसकर चूर्ण बनाना है।
उपयोग की विधि:-
त्रिफला के सेवन से वात, पित्त तथा कफ से उत्पन्न 148 बिमारीयों के उपचार में लाभ मिलता है।
इसका उपयोग रात तथा सुबह दोनों समय किया जाता है।रात्रि में त्रिफला के सेवन से पेट में जमा मल साफ किया जाता इसके नियमित सेवन से कब्ज तथा पेट की सभी बिमारियों जैसे गैस, अपच , एसीडिटी... आदि में आराम मिलता है।
रात्रि के समय त्रिफला को गुनगुने दूध या गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण 60-90 दिनों तक सेवन करने से कैसी भी कब्ज हो ठीक हो जाती है। इतना ही नहीं यह पेट की सभी बिमारीयों को ठीक करता है।
सुबह के समय सेवन की विधि:-
सुबह के समय एक बड़ा चाय के चम्मच के बराबर त्रिफला शहद के साथ मिलाकर खाने से अनावश्यक वजन कम होता है, पेट की चर्बी, मोटापा ठीक होता है इतना ही नहीं शरीर में आवश्यक सभी सुक्ष्म पोषक तत्वों जैसे केल्शियम, आयरन विटामिनA, विटामिनC...आदि सभी की कमी को पूर्ण करता है। ये त्रिफला इतना लाभकारी है कि जिसके बारे महर्षि वाग्बट्ट जी ने बहुत विस्तार से लिखा हुआ है।
डायबिटीज के रोगी इसका सेवन सुबह में घर पर बने गुण या शहद के साथ करें पूर्ण लाभ मिलेगा, रक्त शर्करा सदैव नियंत्रित रहेगी...।
सावधानी
त्रिफला का सेवन लगातार 90 दिनों से अधिक नहीं करना चाहिए अन्यथा विपरीत परिणाम हो सकता है।90दिनों के पश्चात 1 माह के बाद पुनः उपयोग किया जा सकता है।
दिन में सिर्फ एक बार ही इसका सेवन कर सकते हैं या तो सुबह में या रात में। रात्रि में विशेष परिस्थितियों में ही इसका सेवन ज्यादा दिनों तक करना चाहिए अन्यथा एक माह तक ही लगातार सेवन करना चाहिए।
धन्यवाद
आपका स्वास्थ्य हमारा प्रथम लक्ष्य
।।जय हिन्द, जय भारत, स्वस्थ भारत।।
Comments
Post a Comment