Skip to main content

Helth benefits of methi 2

मैथी कितना अद्भुत औषधि 
आज हम इसके महत्व पर और विस्तार से बात करने जा रहे हैं

नमस्ते,

हमारे स्वयं पाक घर जितने तरह के मसाले हैं आयुर्वेद में उन्हें औषधि माना गया हैं। मसाला शब्द अंग्रेजों के द्वारा दिया गया। हमारे रसोई घर में ऐसी ही एक अमृत औषधि है मैथी का दाना जिसके बारे में हमने पिछले ब्लॉग में चर्चा की ।

इस लिंक को ओपन करके आप उसे भी पढ़िए
https://sumitalks1.blogspot.com/2020/03/benifit-of-methi.html




Youtube video link
https://youtu.be/a-d6Gbl8peg

मैथी दाना की महत्ता के बारे में बताते हुए वाग्बट्ट जी ने लिखा है कि मैथी दान वात के 48 और वात एवं पित्त 73 रोगों को ठीक करता है। भाई राजीव दीक्षित जी बताते थे कि हमने प्रत्येक बिमारी जो वात एवं पित्त की हैं, के रोगियों की चिकित्सा की और पूर्ण लाभ भी मिला।

मै सुमित पिछले चार वर्षों से लगातार आयुर्वेद के नियमों का पालन कर रहा हूँ वैसे तो बचपन से ही बहुत सी बिमारीयों को मेरी माँ आयुर्वेदिक चिकित्सा से ही ठीक करती थी इसलिए मेरी प्रथम गुरु इस क्षेत्र में मेरी माताजी ही हैं जिनसे मुझे आयुर्वेद का लाभ मिलता रहा है।

चार सालों से लगातार मै आयुर्वेद का अध्ययन कर रहा हूँ और अभी तक जिन लोगों को भी मैने जिन बिमारीयों के लिए मैथी दाना या मैथी के किसी भी रूप के प्रयोगकी सलाह दी है वे सभी स्वस्थ मैने डाईबीटीज के बहुत से रोगियों, वात के रोगों में लोगों को सलाह दी है और देता रहता हूँ। जो बताए नियमों का पालन करते हैं वे सभी पूर्ण स्वस्थ हैं।

बिमारीयाँ:-
हमने बहुत सी बिमारीयों की पहले भी बात की है अब आग की बिमारीयों पर बात करते हैं।
 मैथी दाने से सभी जोड़ों एवं मांंसपेशियों के दर्द बीपी, शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, एल डी एल, ट्राई ग्लिसराइड, दमा, अस्थमा, ब्रांकाइटिस, सभी प्रकार की माताओं की मासिक धर्म की समस्या, जैसे- समय पर मासिक धर्म न होना, अत्यधिक रक्त जाना, चिड़चिड़ापन आदि का उपचार मैथी दाना है।

माताओं की सभी समस्याओं में मैथी का लड्डू गुण और देशी गाय के घी में बनाकर खाना सर्वोत्तम है।

अन्य के लिए एक चम्मच मैथी दाना एक गिलास पानी में रात को भिगो दें सुबह खाली पेट उस पानी को पिए तत्पश्चात मैथी दाने को चबाकर खाएं

यदि कभी कुत्ते ने काट लिया और घाव बन गया हो तो मैथी दाना की चटनी बनाकर घाव पर लेपन करें घाव तेजी से ठीक होता है और किसी तरह के इंजेक्शन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

कब्ज की स्थिति में रात को एक चम्मच मैथी पावडर को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से कब्ज दूर हो जाती है।

बबासीर के वे रोगी जिनको मल मल के समय रक्त नहीं आता इसका सेवन करें और रक्त आता हो तो न करें।

मैथी दाना कब्ज, मल बद्धता, कोष्ठ बद्धता आदि के लिए उपयोगी है।

यह रक्त पवाह को ठीक करता है, रक्त अल्पता को ठीक करता हैं।

अगर आपने रिफाइण्ड तेल या डालडा या वनस्पति घी का अत्यधिक सेवन किया है तो मैथी दाना उसके प्रभाव को भी समाप्त कर देता है।

अत्यधिक चाय पीने के दुष्प्रभाव को भी ठीक करता है।

मैथी की हरी साग का रोजाना सेवन करना चाहिए।


सावधानी

पित्त प्रवृत्ति के लोग मैथी का सेवन न करें
मैथी दाना खाने के बाद चाच का सेवन एक घण्टे तक न करें और संभव हो तो चाय का सेवन कभी भी न करें।

स्वस्थ व्यक्ति लगातार 20 दिनों के सेवन के बाद 20 दिनों का अन्तराल लें।

खूनी बबासीर होने पर भी इसका सेवन न करें।

लगातार 90 दिनों से अधिक सेवन न करें कम से कम 30 दिनों का विश्राम लेने के वाद पुनः 90 दिनों तक सेवन कर सकते हैं केवल बीमार व्यक्ति ही।

।।धन्यवाद।।

।।जय हिन्द जय भारत स्वस्थ्य भारत।।

।।जय गौमाता।।

Comments

Popular posts from this blog

Hand sanitizer &COVID19

COVID19 से सबसे ज्यादा जिसकी मार्केटिंग हो रही है वो है Hand Sanitizer और  face mask... भारत नमस्ते, विश्व में महामारी का रूप ले चुकी इस संक्रामक बिमारी ने आज विश्व में दो चीजों को महत्वपूर्ण स्थान पर ला दिया है जिसमें से एक  hand sanitizer और दूसरा है फेसमास्क। ऐसा बताया जा रहा है कि हाथों को hand sanitizer से धूलते रहना है और मास्क पहन कर ही रखना है किन्तु बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियों पर प्रकाश डालने की आवश्यकता है...। आइए जानते हैं- Hand Sanitizer:- अनेकों कम्पनियों ने अलग अलग नामों से बाजार hand sanitizer launch किया हुआ आइए जानते है क्या है ये सैनिटाइजर और क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण...। ऐ Hand sanitizer हाँथो को पानी की उपलब्धता न होने पर भी हाथों को साफ रखने के काम में लाया जाता है। यह एक प्रकार का तरल ऐल्कोहलिक द्रव्य है जिसमें 60-70 % एल्कोहल की मात्रा पायी जाती है। आइए जानते हैं इसके उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्या के बारे में- जब हम सैनिटाइजर को हाथों पर लगाते हैं तो हमारे हाँथों पर रहने वाले लाभदायक जीवाणू भी मर जाते हैं जो हमारे शरीर को ...

FOOD (भोजन) OF DAY TODAY LIFE

नमस्ते,        अभी तक हमने बात की कि हमारी दिनचर्या कैसी है और हमारी दिनचर्या ही हमारी बिमारीयों का एक प्रमुख कारक हैंं...।       किन्तु क्या दिनचर्या ही प्रमुख कारण है इसका उत्तर नहीं मे दिया जा सकता है। दिनचर्या एक प्रमुख कारण अवश्य ही है किन्तु इससे भी प्रमुख कारण जो है वो है हमारा भोजन (FOOD)...         भोजन, हम सभी को पता है हमारे शरीर को कार्य करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है और ये उर्जा हमें भोजन (Food) से ही प्राप्त होती है। अतः हमारा भोजन कैसा हो यह जानना हमारे लिए नितान्त आवश्यक है।          अब आज हम बात करेंगे अनियमित भोजन क्या है और हमें किस तरह के भोजन की कब और कितनी आवश्यकता है, क्या खाना है और क्या नहीं खाना है, कब क्या खाना है?,... अज हम इसी विषय पर बात करने चल रहे हैं-           आइए बात करते हैं भोजन के अनियमितता की हम कुछ भी कभी भी कैसे भी नहीं खा सकते। यदि हम ऐसा कर रहे हैं तो हम अवश्य ही बिमारी की तरफ तेजी से अग्रसर हो रहें हैं   ...

Water

पानी कब कितना और कैसे पिए?... जब हम अपने शरीर का वर्ग करते है तो हम पाते हैं कि पानी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि ये 72% हैं। हमारे शरीर में 72% पानी, 12% पृथ्वी, 6%हवा, 4% अग्नि तथा बाकी सब आकाश है। हमें पानी का जबरदस्त ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि ये 72% है। अतः आइए आज हम बात करते हैं कि हमें कब कितना पानी पीना चाहिए, पानी को कैसे पीना चाहिए, किस तरह का पानी पीना चाहिए?.. पानी पीने का सही तरीका- पानी सदैव बैठकर पीना चाहिए, पानी को सिप- सिप करके पीए(घूँट- धूँट ) करके पीना चाहिए। ऐसा क्यों? इसके जवाब में महर्षि वाग्भट्ट लिखते हैं कि हमारे मुख मे लार बनता है जिसकी प्रकृति क्षारीय है। जब हम पानी को सिप या घूँट करके पीते हैं तो लार पानी मे मिल कर उसे क्षारीय बना देता है।वही दूसरी तरफ हमारे पेट की प्रकृति अम्लीय है ऐसी स्थिति में जब अम्ल और क्षार आपस मेंं मिलकर उदासीन हो जाते हैं जिससे हमारा भोजन बिसाक्त होने से बच जाता है और हम सदा स्वस्थ जवान और ऊर्जावान रहते हैं। कब कितना पानी पीना चाहिए और कब पानी नहीं पीना चाहिए। महर्षि वाग्भट्ट आगे लिखते हैं हमा...